Mysterious River of India: भारत की रहस्यमयी सरस्वती नदी का विशाल क्षेत्र वैज्ञानिकों को मिला है। यह भारत की एक मात्र नदी है जो धरती के नीचे बहती है। धरती के नीचे बहने की वजह से सरस्वती नदी को एक रहस्यमय नदी भी माना जाता है।
हिंदू धर्म शास्त्रों में सरस्वती नदी के बारे में जिक्र किया गया है। इस नदी को किसी ने अभी तक देखा नहीं है लेकिन धरती के अंदर इसके बहने का प्रमाण मिला है। ऐसा माना जाता है कि प्रयागराज में गंगा, यमुना और सरस्वती नदी का मिलन होता है। इस कारण इस स्थल को प्रयाग नाम दिया गया है।
हिंदू धर्म में प्रयागराज को बहुत ही अधिक महत्वपूर्ण और कलियुग में मोक्ष के स्थानों में से एक माना गया है। जिस जगह पर गंगा, यमुना और अदृश्य सरस्वती नदी का मिलन होता है, उस जगह को त्रिवेणी संगम के नाम से भी जाना जाता है।
ऐसा माना जाता है कि हमारे प्राचीन ग्रंथ ऋगवेद का पहला हिस्सा सरस्वती नदी के किनारे लिखा गया था। महाभारत में इस नदी के गायब होने की बात लिखी हुई है। महाभारत में वर्णित तथ्यों के अनुसार, सरस्वती नदी वर्तमान में हरियाणा में यमुनानगर से थोड़ा ऊपर और शिवालिक पहाड़ियों से नीचे आदिबद्री नामक स्थान से निकलती थी।
ऋगवेद में सरस्वती नदी का जिक्र अन्नवती और उदकवती के रूप में किया गया है। महाभारत में इस नदी को प्लक्षवती नदी, वेदस्मृति, वेदवती आदि नामों के रूप में वर्णित किया गया है। ऋगवेद में सरस्वती नदी के क्षेत्र के बारे में भी बताया गया है। यमुना के पूर्व और सतलुज नदी के पश्चिम में सरस्वती नदी का क्षेत्र बताया गाय है।
धरती के भीतर मिले प्रमाण
सरस्वती नदी के बहने के प्रमाण मिले हैं। वैज्ञानिकों के अनुसार, हिमालय में आदिबद्री से लेकर गुजरात के कच्छ से होते हुए धौलावीरा तक करीब पौने 5 किलीमीटर तक जमीन के भीतर विशाल जल का भंडार मिला है।
इस संबंध में जाने-माने भूगर्भ वैज्ञानिक प्रोफेसर केएस वाल्दिया की अध्यक्षता वाले एक विशेषज्ञ दल ने केंद्रीय जल संसाधन, नदी विकास, गंगा संरक्षण मंत्री उमा भारती को एक रिपोर्ट सौंपी थी जिसमें सरस्वती नदी के प्रमाण के बारे में बात की गई है।
बता दें कि हरियाणा के यमुना नगर में सरस्वती नदी की खुदाई के दौरान जल निकला तो कई नेता भी इसे देखने के लिए आए थे। फिलहाल हरियाणा के तीन जिलों को सरस्वती नदी का प्रवाह क्षेत्र मानकर खुदाई की तैयारी की जा रही है।
हरियाणा में खुदाई में पानी मिलने की जांच के लिए केंद्र सरकार ने एक टास्क फोर्स गठित किया है। कहा जाता है कि करीब 10 हजार साल पहले सरस्वती नदी के किनारे लोग रहा करते थे। ऐसे में सवाल यह उठता है कि आखिर 1500 किलोमीटर में बहने वाली सरस्वती नदी लुप्त कैसे हो गई।
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